नम: शिवाय"
सभी को अनंत प्रेम करना| इससे कहीं फसोगे नहीं|" "एक चीज़ याद रखना
की तुम इस दुनिया में अपनी आध्यात्मिक यात्रा करने अकेले आए हो| प्राण छोड़ोगे भी अकेले| समाधी की स्थिति में भी अकेले ही होगे| जो तुम्हारे जीवन में लोग आएँगे उनको अपना सहयात्री समझना
और किसी से वैर नही रखना नहीं तो एक रूठा हुआ यात्री और कई यात्राएँ फिर प्रारंभ
करवाने की क्षमता रखता है| अपने जीवन में
क्षमा कर देना यदि किसी से भी मन-मुटाव रखा है तो| क्षमा का अर्थ है दूसरे के हित की कामना करना| यह भाव कभी नही लाना "देखा मेरे से पंगा लिया था तो
बुरा हुआ| अच्छा हुआ|" क्षमा का सबसे सरल उपाय है किसी की भलाई की कामना करना| हर साधना के पश्चात अपने शत्रुओं की मंगल कामना करना और
शत्रु शब्द अपनी वर्णमाला से निकाल देना|सब शिव की संतान
हैं|