नवरात्र आह्वान है भगवती की शक्तियों को जगाने का ताकि हममें देवी शक्ति की कृपा होकर हम सभी संकटों, रोगों, दुश्मनों, प्राकृतिक आपदाओं से बच सकें। शारीरिक तेज में वृद्धि हो। मन निर्मल हो व आत्मिक, दैविक, भौतिक शक्तियों का लाभ मिल सके। नवरात्र में जो भी मनुष्य श्रद्धापूर्वक भगवती की आराधना , साधना ेएवं ध्यान करता है उसे भोग और मोक्ष की प्राप्ति निश्चित ही होती है। यहाँ पर आपको भगवती माँ दुर्गा की उपासना विधि दी गई है। शारदीय नवरात्र पितृपक्ष के पश्चात् पितृमोक्ष अमावस्या के अगले दिन सेआरंभ होते हैं । भगवान श्रीराम ने नवरात्र में ही साधना करके दसवे दिन रावण का वध किया था इसलिए उस दिन को दशहरा अथवा विजया दशमी कहते हैं । जो आइए जानते हैं भगवती की साधना विधि -
प्रथम दिवस घटस्थापना एवं विधिविधान से माँ का आह्वान पूजन करके दुर्गासप्तशती के 700 श्लोकों का पाठ करें यदि संभव हो तो बीजमंत्रात्मक दुर्गासप्तशती का पाठ अवश्य करें। तत्पश्चात् नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ के प्रत्येक रूप का ध्यान करें । संभव हो तो रात्रि में शयन के पूर्व शुद्ध अवस्था में ध्यान - साधना करने के पश्चात् ही शयन करें। घटस्थापना विधि, बीजमंत्रात्मक दुर्गासप्तशती साधना, नवदुर्गा नवमंत्र एवं सावधानियों को जानने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।