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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter १०   भोर और बरखा 

हिन्दी (वसंत)
कक्षा - 7
अध्याय - १०

भोर और बरखा 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
कविता से

प्रश्न 1.
‘बंसीवारे ललना’ ‘मोरे प्यारे लाल जी’ कहते हुए, यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और कौन-कौन-सी बातें कहती हैं?
उत्तर-
‘बंसीवारे ललना’ ‘मोरे प्यारे’ व ‘लाल जी’ कहते हुए यशोदा श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास कर रही हैं। वह उनसे कहती हैं कि मेरे लाल जागो, रात बीत गई है, सुबह हो गई है। सबके घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ दही बिलो रही हैं। और तुम्हारे खाने के लिए मनभावन मक्खन निकाल रही हैं। तुम्हें जगाने के लिए सभी देव और मानव खड़े हैं जो तुम्हारे दर्शनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तुम्हारे सखा, ग्वाल-बाल तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। अतः तुम अब उठ जाओ।

प्रश्न 2
नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए- ‘माखन-रोटी हाथ मँह लिनी, गउवन के रखवारे।’
उत्तर- 
गायों की रखवाली करने वाले तुम्हारे मित्र ग्वालवालों ने रोटी और मक्खन लिया हुआ है। वे तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। हे कृष्ण उठो और जाओ।

प्रश्न 3.
पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।
उत्तर
ब्रज में भोर होते ही ग्वालनें घर-घर में दही बिलौने लगती हैं, उनकी चूड़ियों की मधुर झंकार वातावरण में गूंजने लगती है, घर-घर में मंगलाचार होता है, ग्वाल-बाल गौओं को चराने के लिए वन में जाने की तैयारी करते हैं।

प्रश्न 4.
मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?
उत्तर-
मीरा को सावन मनभावन इसलिए लगने लगा, क्योंकि सावन की फुहारें में मन में उमंग जगाने लगती हैं तथा श्रीकृष्ण के आने का आभास हो गया।

प्रश्न 5.
पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
सावन के आते ही बादल चारों दिशाओं में उमड़-घुमड़कर विचरण करने लगते हैं। बिजली चमकने लगती है, वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूंदे बरसती हैं। शीतल हवाएँ बहने लगती हैं और मौसम सुहावने लगने लगते हैं।

कविता के आगे

प्रश्न 1.
मीरा भक्तिकाल की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। इस काल के दूसरे कवियों के नामों की सूची बनाइए तथा उसकी एक एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर-
कबीरदास – बीजक
सूरदास – सूरसागर
तुलसीदास – रामचरितमानस
जायसी – पद्मावत

प्रश्न 2.
सावन वर्षा ऋतु का महीना है, वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीनों के नाम लिखिए।
उत्तर
‘सावन’ वर्षा ऋतु का विशेष महीना माना जाता है लेकिन सावन से पहले के महीने आषाढ़ वे सावन के बाद के महीने भादों में भी कई बार वर्षा हो जाती है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
सुबह जगने के समय आपको क्या अच्छा लगता है?
उत्तर
सुबह जगने के समय मुझे अच्छा लगता है कि मेरी माँ मेरे सामने हो।

प्रश्न 2.
यदि आपको अपने छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े, तो कैसे जगाएँगे?
उत्तर-
यदि हमें छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े तो प्यार से उनके सिर और बालों को सहलाते हुए जगाएँगे।


प्रश्न 3.
वर्षा में भींगना और खेलनों आपको कैसा लगता है?
उत्तर-
वर्षा में भींगना और खेलना मुझे बहुत अच्छा लगता है।


प्रश्न 4.
मीरा बाई ने सुबह का चित्र खींचा है। अपनी कल्पना और अनुमान से लिखिए कि नीचे दिए गए स्थानों की सुबह कैसी होती है
(क) गाँव, गली या मुहल्ले में,
(ख) रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर
(ग) नदी या समुद्र के किनारे
(घ) पहाड़ों पर।
उत्तर-
(क) गाँवों में लोगों की चहल-पहल शुरू हो जाती है। गाँव में गायें रंभाने लगती हैं, पक्षी चहचहाने लगते हैं। कुछ लोग सुबह-सुबह मंदिर जाने लगते हैं, कई सैर पर जाते हैं। किसान हल लेकर खेतों पर जाने को तैयार हो जाते हैं।
(ख) रेलवे प्लेटफार्म पर सुबह-सुबह गाड़ी पकड़ने रेल का इंतजार करते दिखाई देते हैं। रेलवे स्टेशन पर गाड़ियों का आवागमन होने लगता है। सवारियाँ उतरती-चढ़ती रहती हैं, प्लेटफॉर्म पर सफ़ाई कर्मचारी झाड़ लगाते दिखाई देते हैं।
(ग) नदी या समुद्र के किनारे सुबह का वातावरण बिलकुल शांत होता है। उनमें जल धीमी गति से प्रवाहित होता रहता है। कुछ लोग सैर करते हुए दिखाई देते हैं।
(घ) पहाड़ों पर प्रातः लुभावनी लगती है। उगते हुए सूरज की किरणे अत्यंत मनोरम दृश्य उपस्थित करती हैं। मंद-मंद हवाएँ यहाँ चलती रहती हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कृष्ण को ‘गउवन के रखवारे’ कहा गया जिसका अर्थ है गौओं का पालन करनेवाले। इसके लिए एक शब्द दें
उत्तर-
गोपाला या गोपालक।

प्रश्न 2.
नीचे दो पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें से पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द दो बार आए हैं, और दूसरी पंक्ति में भी दो बार। इन्हें पुनरुक्ति (पुनः उक्ति) कहते हैं। पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द विशेषण हैं और दूसरी पंक्ति में संज्ञा।
‘नन्हीं-नन्हीं बूंदन मेहा बरसे’ ‘घर-घर खुले किंवारे’
• इस प्रकार के दो-दो उदाहरण खोजकर वाक्य में प्रयोग कीजिए और देखिए कि विशेषण तथा संज्ञा की पुनरुक्ति के अर्थ में क्या अंतर है?
जैसे–मीठी-मीठी बातें, फूल-फूल महके।
उत्तर
विशेषण पुनरुक्ति
गरम-गरम – माँ ने गरम-गरम पकौड़े बनाए।
तरह-तरह – बगीचे में तरह-तरह के फूल खिले थे।
सुंदर-सुंदर – रमा ने सुंदर-सुंदर साड़ियों का चुनाव कर लिया।
मीठे-मीठे – शबरी ने मीठे-मीठे बेर राम को खिलाए।
संज्ञा पुनरुक्ति
गली-गली – नेताओं ने गली-गली में प्रचार शुरू कर दिया।
गाँव-गाँव – सरकार ने गाँव-गाँव में कुएँ खुदवाने का प्रस्ताव जारी किया।
बच्चा-बच्चा – मुहल्ले का बच्चा-बच्चा यह बात जान गया कि मंदिर में चोरी पुजारी ने की है।
वन-वन – राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के समय वन-वन भटकते रहे।

कुछ कहने को

प्रश्न 1.
कृष्ण को ‘गिरधर’ क्यों कहा जाता है? इसके पीछे कौन सी कथा है? पता कीजिए और कक्षा में बताइए।
उत्तर
कृष्ण को गिरधर कहा गया है क्योंकि उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी उँगली पर उठाया था अर्थात् गिरि को धारण करने वाले।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
मीरा और कृष्ण की भक्ति के बारे में पाँच वाक्य लिखिए।
उत्तर-
कवयित्री मीरा कृष्ण की परम भक्त थीं। वे कृष्ण को अपना पति मानकर भक्ति करती थीं। उन्होंने कृष्ण प्रेम के लिए घर द्वार को छोड़ दिया। वे घूम-घूमकर मंदिरों में कृष्ण भक्ति में लीन रहती थी। वह कृष्ण की अनन्य भक्त थी। इसके लिए उन्होंने संसार की लोक-लाज की भी परवाह नहीं की।

   

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9  खानपान की बदलती तस्वीर 

हिन्दी (वसंत)
कक्षा - 7
अध्याय - 9

खान-पान की बदलती तस्वीर 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
निबंध से

प्रश्न 1.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।
उत्तर-
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब है- स्थानीय अन्य प्रांतों तथा विदेशी व्यंजनों के खानपान का आनंद उठाना यानी स्थानीय व्यंजनों के खाने-पकाने में रुचि रखना, उसकी गुणवत्ता तथा स्वाद को बनाए रखना। इसके अलावे अपने पसंद के आधार पर एक-दूसरे प्रांत को खाने की चीजों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है। जैसे आज दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा, साँभर इत्यादि उत्तर भारत में चाव से खाए जाते हैं और उत्तर भारत के ढाबे के व्यंजन सभी जगह पाए जाते हैं। यहाँ तक पश्चिमी सभ्यता का व्यंजन बर्गर, नूडल्स का चलन भी बहुत बढ़ा है। हमारे घर में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों प्रकार के व्यंजन तैयार होते हैं। चूंकि, मैं उत्तर भारतीय हूँ । हमारा भोजन रोटी-चावल दाल है लेकिन इन व्यंजनों से ज्यादा इडली साँभर, चावल, चने-राजमा, पूरी, आलू, बर्गर अधिक पसंद किए जाते हैं। 
प्रश्न 2
खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है? 
उत्तर- 
खानपान में बदलाव से निम्न फ़ायदे हैं-
1.एक प्रदेश की संस्कृति का दूसरे प्रदेश की संस्कृति से मिलना।
2.राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलना।
3.जल्दी तैयार होने वाले विविध व्यंजनों की विधियाँ उपलब्ध होना।
4.बच्चों व बड़ों को मनचाहा भोजन मिलना।
5.देश-विदेश के व्यंजन मालूम होना।
खानपान में बदलाव से होने वाले फ़ायदों के बावजूद लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित है क्योंकि उसका मानना है कि आज खानपान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से नुकसान भी हो रहे हैं जो निम्न रूप से हैं-
1.स्थानीय व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है जिससे नई पीढी स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानती ही नहीं।
2.खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है।
3.उत्तर भारत के व्यंजनों का स्वरूप बदलता ही जा रहा है

प्रश्न 3
खान पान के मामले में स्वाधीनता का क्या अर्थ है?
उत्तर-
खानपान के मामले में स्वाधीनता का अर्थ है किसी विशेष स्थान के खाने-पीने का विशेष व्यंजन। जिसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक हो। जैसे कि मुंबई की पाव भाजी, दिल्ली के छोले कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे, नमकीन आदि। पहले स्थानीय व्यंजनों का प्रचलन था। हर प्रदेश में किसी न किसी विशेष स्थान का कोई-न-कोई व्यंजन अवश्य प्रसिद्ध होता था। भले ही ये चीजें आज देश के किसी कोने में मिल जाएँगी लेकिन ये शहर वर्षों से इन चीजों के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन आज खानपान की मिश्रित संस्कृति ने लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प दे दिए हैं कि स्थानीय व्यंजन प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं।


निबंध से आगे

प्रश्न 1
घर से बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं। इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके-माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर - विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
यहाँ खाने पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और उनका वर्गीकरण कीजिए- 















प्रश्न 3.
छौंक चावल कढ़ी
• इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर - 
विद्यार्थी स्वयं अभिभावक की सहायता से करें।
प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा-
सन् साठ का देशक – छोले-भटूरे
सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक – पीजा, पाव-भाजी
• इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए।






भाषा की बात
प्रश्न 1.
खानपान शब्द खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए- 
सीना-पिरोना
लंबा-चौड़ा भला-बुरा
कहा-सुनी चलना-फिरना
घास-फूस

उत्तर-
सीना-पिरोना – नेहा सीने-पिरोने की कला में काफ़ी अनुभवी है।
भला-बुरा – मैंने उसे भला-बुरा कहा।
चलना-फिरना – चलना-फिरना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
लंबा-चौड़ा – धनीराम का व्यापार लंबा-चौड़ा है।
कहा-सुनी – सास-बहू में खूब कहा-सुनी हो गई।
घास-फूस – उसका घर घास-फूस का बना है।

प्रश्न 2.
कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम
उत्तर- 
आराम – कुर्सी, तरणताल – नहाना, नटखट – बालक, चंचल – बालिका।

  

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8   रहीम के दोहे

हिन्दी (वसंत)
कक्षा - 7
अध्याय - 8

रहीम के दोहे 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
दोहे से

प्रश्न 1.
पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए। .
उत्तर - 
दोहों में वर्णित निम्न पंक्ति कथन हैं-
1.कहि रहीम संपति सगे, बनते बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।1।।
कठिन समय में जो मित्र हमारी सहायता करता है, वही हमारा सच्चा मित्र होता है।

2.जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।। 2।।
मछली जल से अपार प्रेम करती है इसीलिए उससे बिछुड़ते ही अपने प्राण त्याग देती है।
निम्न पंक्तियों में कथन को प्रमाणित करने के उदाहरण हैं-

1. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान।।3।।
निस्वार्थ भावना से दूसरों का हित करना चाहिए, जैसे-पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते और सज्जन धन संचय अपने लिए नहीं करते।

2. थोथे बाद क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।4।।

कई लोग गरीब होने पर भी दिखावे हेतु अपनी अमीरी की बातें करते रहते हैं, जैसे-आश्विन के महीने में बादल केवल गहराते हैं बरसते नहीं।

3. धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।5।।
मनुष्य को सुख-दुख समान रूप से सहने की शक्ति रखनी चाहिए, जैसे-धरती सर्दी , गर्मी व बरसात सभी मौसम समान रूप से सहती है।
कविता से आगे
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उसके क्या लाभ होंगे? सोचिए
और लिखिए
(क) तरुवर फल ……..
……………. संचहिं सुजान।

(ख) धरती की-सी ………….
……. यह देह॥
उत्तर-
(क) इस दोहे के माध्यम से रहीम यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वृक्ष अपने फल नहीं खाते और सरोवर अपना जल नहीं पीते उसी प्रकार सज्जन अपना संचित धन अपने लाभ के लिए उपयोग नहीं करते। उनका धन दूसरों की भलाई में खर्च होता है। यदि हम इस सच्चाई को अपने जीवन में उतार लें, अर्थात् अपना लें तो अवश्य ही समाज का कल्याणकारी रूप हमारे सामने आएगा और राष्ट्र सुंदर रूप से विकसित होगा।

(ख) इस दोहे के माध्यम से रहीम बताने का प्रयास कर रहे हैं कि मनुष्य को धरती की भाँति सहनशील होना चाहिए। यदि हम सत्य को अपनाएँ तो हम जीवन में आने वाले सुख-दुख को सहज रूप से स्वीकार कर सकेंगे। अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं होंगे। हम हर स्थिति में संतुष्ट रहेंगे। हमारे मन में संतोष की भावना आएगी।


भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े (रे, डे)
बिपति बादर
मछरी सीत
उत्तर - 
रहीम की भाषा हिंदी के शब्द
बिपति – विपत्ति
मछरी – मछली
बादर – बादल
सीत – शीत

प्रश्न 2.
नीचे दिए उदाहरण पढ़िए
(क) बनत बहुत बहु रीत।।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग, इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
(क) दाबे व दबे
(ख) संपति-सचहिं सुजान।।
(ग) चारू चंद्र की चंचल किरणें (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)
(घ) तर तमाल तरुवर बहु छाए। (‘त’ वर्ण की आवृत्ति)
(ङ) रघुपति राघव राजा राम (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)