महाभारत परिचय -
प्रश्न -1 महाभारत की कथा किसकी देन है?
उत्तर - महाभारत की कथा महर्षि पराशर के कीर्तिमान पुत्र वेद व्यास की दीन है ।
प्रश्न -2 व्यास जी ने महाभारत की कथा सबसे पहले कितनी कंठस्थ कराई थी?
उत्तर - व्यास जी ने सबसे पहले महाभारत की कथा अपने पुत्र शुकदेव को कंठस्थ कराया था और बाद में अपने अन्य शिष्यों को।
प्रश्न -3 मानव जाति में महाभारत की कथा का प्रसार किसके द्वारा हुआ?
उत्तर - मानव जाति में महाभारत की कथा का प्रसार महर्षि वैष्णपायण के द्वारा किया गया ।
प्रश्न -4 महर्षि वैष्णपायन कौन थे?
उत्तर - महर्षि वैष्णपायन व्यास जी के प्रमुख शिष्य थे ।
प्रश्न -5 क्या यज्ञ में सूत जी भी उपस्थित थे?
उत्तर - महाराज परीक्षित के पुत्र जन्ममेजय के यज्ञ में सूत जी भी उपस्थित थे ।
प्रश्न -6 सूत जी के द्वारा बुलाई गई विधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर - सूत जी के द्वारा बुलाई गई विवाहित सभा के अध्यक्ष महर्षि शौनक थे ।
प्रश्न -7 महाराजा शांतनु के बाद किसको हस्तिनापुर की गद्दी मिली?
उत्तर - महाराजा शान्तनु के बाद उनके पुत्र चित्रांगद को हस्तिनापुर की गद्दी मिली।
प्रश्न -8 बाद में हस्तिनापुर की गद्दी विचित्रा को क्यों दी गई?
उत्तर - चित्रांगद की अकाल मृत्यु के बाद उनके भाई विचित्रवीर्य को हस्तिनापुर की गद्दी दी गई।
प्रश्न -9 विचित्रवीर्य के दो पुत्रों के नाम लिखो।
उत्तर - धृतराष्ट्र और पाण्डु ।
प्रश्न -10 धृतराष्ट्र ज्येष्ठ पुत्र थे फिर पांडु को गद्दी पर क्यों विराजमान किया गया?
उत्तर - धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे इसलिए उस समय की नीति के अनुसार पांडु को गद्दी पर बैठा दिया गया ।
प्रश्न -11 पाण्डु की कितनी रानियाँ थीं? उनका नाम लिखें ।
उत्तर - पाण्डु की दो रानियाँ थीं - कुंती और माद्री ।
प्रश्न -12 पांडु अपनी दो रानियाँ के साथ जंगल क्यों गए?
उत्तर - पाण्डु अपनी दो रानियाँ के साथ अपने किसी अपराध के प्रायश्चित के लिए तपस्या करने जंगल में गए ।
प्रश्न -13 पाण्डु के कितने पुत्र थे?
उत्तर - पाण्डु के पाँच पुत्र थे ।
प्रश्न -14 पांडवो का पालन-पोषण पशुओं के द्वारा और कहाँ हुआ?
उत्तर - पांडवो का पालन-पोषण ऋषि मुनियों के द्वारा जंगल में हुआ ।
प्रश्न -15 युधिष्ठिर के सोलह वर्ष के होने पर ऋषियों ने पांडवों को क्यांे ठहराया?
उत्तर - युधिष्ठिर के सोलह वर्ष के होने पर ऋषियों ने पांडवों को हस्तिनापुर ले जाकर पितामह भीष्म को सौंप दिया।
प्रश्न -16 कौरव पांडवों से क्यों जलते थे?
उत्तर - पाँचों पाण्डव बुद्धि से तेज, शरीर से बली और मधुर स्वभाव के थे । पांडवों के गुण सबको मोह लेते थे । यह देखकर कौरव उनसे जलते थे ।
प्रश्न -17 कुरु राज्य का बँटवारा किस प्रकार हुआ?
उत्तर - कुरु राज्य के दो हिस्से किए गए । कौरव हस्तिनापुर में ही राज करते रहे और पांडवों को एक अलग राज्य दे दिया गया, जो आगे चलकर इंद्रप्रस्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न -18 राजा लोगों के बीच कौन सा खेल खेलने का नियम था?
उत्तर - राजा लोगों के बीच चौसर खेलने का नियम था ।
प्रश्न -19 पांडवो का राज्य कैसे छिना और उन्हें क्या भोगना पड़ा?
उत्तर - चौसर के खेल में शकुनि ने युधिष्ठिर को हरा दिया । इसके फलस्वरूप पांडवों का राज्य छिन गया और उन्हें तेरह वर्ष का वनवास भोगना पड़ा ।
प्रश्न -20 खेल की क्या शुरुआत थी?
उत्तर - सर्वप्रथम यह कहा गया कि बारह वर्ष के वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास भोगने के बाद पांडवों को उनका राज्य लौटा दिया जाएगा।
प्रश्न -21 कौरव और पांडवों में युद्ध का क्या कारण था?
उत्तर - दुर्योधन ने पांडवों को राज्य वापसी से रिहा कर दिया था। येही कौरव और पांडवों के बीच युद्ध का कारण बना।
देवव्रत -
प्रश्न -1 राजा शांतनु को अपनी सुंदरता और नवयौवन से किसने मोह लिया?
उत्तर - गंगा ने राजा शान्तनु को अपनी सुन्दरता और नवयौवन से मोह लिया।
प्रश्न -2 पैदा होते ही गंगा अपने पुत्रों से साथ क्या करती थी?
उत्तर - पैदा होते ही गंगा अपने पुत्रों को नदी की धारा हुई धारा में फेंक दी गई थी।
प्रश्न -3 गंगा को पुत्रों को नदी में तैरता देख कर भी राजा शांतनु कुछ क्यों नहीं सीख पाए?
उत्तर - राजा शान्तनु ने गंगा को वचन दिया था जिसके कारण वह सब कुछ देखकर भी मन दुखी कर रह जाते थे ।
प्रश्न -4 गंगा राजा शांतनु को छोड़ कर वापस क्यों चली गई?
उत्तर - राजा शांतनु ने गंगा को अपने आंठवे बच्चे को सलाद से रोक कर अपना वचन तोड़ दिया था इसलिए गंगा उन्हें छोड़ कर वापस चली गई।
प्रश्न -5 भीष्म पितामह कौन थे?
उत्तर - गंगा और राजा शान्तनु के आंठवे पुत्र देवव्रत थे जो आगे बढ़ते हुए भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुए ।
प्रश्न -6 सूत जी के द्वारा बुलाई गई विधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर - सूत जी के द्वारा बुलाई गई विवाहित सभा के अध्यक्ष महर्षि शौनक थे ।
प्रश्न -7 एक दिन राजा शांतनु शिकार खेलते-खेलते गंगा के तट पर चले गए, तब उन्होंने वहां क्या देखा?
उत्तर - उन्होंने वहां देखा कि एक सुन्दर और गठीला युवक गंगा की धारा हुई धारा पर बाण चला रहा था और उसके बाणों के स्नान से गंगा की प्रचंड धारा पूरी तरह रुकी हुई थी।
प्रश्न -8 देवव्रत के गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - देवव्रत ने शिक्षा महर्षि वसिष्ठ से ली थी । शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और रण कौशल में परशुराम ही उनका मुकाबला कर सकते थे । यह समतुल्य कुशल योद्धा थे, तथापि ही चतुर थे।
प्रश्न -9 किसने कहा ?
“माँ अपने नादान बच्चों को आकर्षित ही क्यों मार दिया करती हो? यह ख़ुशी भरा व्यवहार आपको शोभा नहीं देता है।”
राजा शांतनु ने गंगा से कहा ।
. “राजन, क्या आप अपना वचन भूल गए हैं? "आपको बेटे से ही मतलब है, मुझसे नहीं।"
गंगा ने राजा शांतनु से कहा ।
“राजन, क्या तुम मुझे और इस युवक को पसंद करते हो? यही आपका और मेरा आठवाँ पुत्र देवव्रत है ।”
गंगा ने राजा शांतनु से कहा ।
भीष्म प्रतिज्ञा
प्रश्न -1 राजा शांतनु क्यों प्रसन्न थे?
प्रश्न -2 राजा शांतनु ने यमुना तट पर क्या देखा?
प्रश्न -3 सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में क्या विचार आया?
प्रश्न -4 केवटराज की क्या सर्वथा थी?
प्रश्न -5 राजा शांतनु क्यों चिंतित थे?
प्रश्न -6 देवव्रत को पिता शान्तनु के चिंतित होने का कारण किस प्रकार पता चला?
प्रश्न -7 देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
प्रश्न -8 सत्यवती और शांतनु के कितने पुत्र हुए?
प्रश्न -9 राजा शांतनु के बाद हस्तिनापुर के सिहांसन पर कौन बैठा था?
प्रश्न -10 चित्रांगद के युद्ध में मारे जाने के बाद हस्तिनापुर की राजगद्दी क्यों दी गई?
प्रश्न -11 विचित्रवीर्य की कितनी रानियाँ थीं? उनका नाम लिखें।
प्रश्न -12 अम्बिका और अम्बालिका के पुत्रों के नाम लिखें।
प्रश्न -13 किसने कहा ?
“मेरे पिता मल्लाहों के सरदार हैं। पहले उनकी अनुमति ले लो। फिर मैं तुम्हारी पत्नी बनने के लिए तैयार हूँ।”
““ तुम मुझे एक वचन दोगे ।”
“जोबुगोगे दन्न यदि वह मेरे लिए बेईमान न हो।”
“पिता जी, संसार का कोई भी सुख ऐसा नहीं है, जो आपको प्राप्त न हो, फिर भी इधर कुछ दिनों से आप दुखी दिखाई देते रहते हैं। आपको किस बात की चिंता है ।”
“यदि तुम्हारी आपत्ति का कारण यही है, तो मैं वचन देता हूँ कि मैं राज्य का लोभ नहीं करूँगा । ” सत्यवती का पुत्र ही मेरे पिता के बाद राजा बनेगा।”
“आर्यपुत्र, इस बात का मुझे पूरा भरोसा है कि आप अपने वचन पर अटल रहेंगे, परंतु आपके पुत्र से मैं वासी आशा कैसे रख सकता हूँ?”
भीष्म प्रतिज्ञा
प्रश्न -1 राजा शांतनु क्यों प्रसन्न थे?
प्रश्न -2 राजा शांतनु ने यमुना तट पर क्या देखा?
प्रश्न - 3 सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में क्या विचार आया?
प्रश्न -4 केवटराज की क्या सर्वथा थी?
प्रश्न -5 राजा शांतनु क्यों चिंतित थे?
प्रश्न -6 देवव्रत को पिता शान्तनु के चिंतित होने का कारण किस प्रकार पता चला?
प्रश्न -7 देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
प्रश्न -8 सत्यवती और शांतनु के कितने पुत्र हुए?
प्रश्न -9 राजा शांतनु के बाद हस्तिनापुर के सिहांसन पर कौन बैठा था?
प्रश्न -10 चित्रांगद के युद्ध में मारे जाने के बाद हस्तिनापुर की राजगद्दी क्यों दी गई?
प्रश्न -11 विचित्रवीर्य की कितनी रानियाँ थीं? उनका नाम लिखें।
प्रश्न -12 अम्बिका और अम्बालिका के पुत्रों के नाम लिखें।
प्रश्न -13 किसने कहा ?
“मेरे पिता मल्लाहों के सरदार हैं। पहले उनकी अनुमति ले लो। फिर मैं तुम्हारी पत्नी बनने के लिए तैयार हूँ।”
““ तुम मुझे एक वचन दोगे ।”
“पिता जी, संसार का कोई भी सुख ऐसा नहीं है, जो आपको प्राप्त न हो, फिर भी इधर कुछ दिनों से आप दुखी दिखाई देते रहते हैं। आपको किस बात की चिंता है ।”
“यदि तुम्हारी आपत्ति का कारण यही है, तो मैं वचन देता हूँ कि मैं राज्य का लोभ नहीं करूँगा । ” सत्यवती का पुत्र ही मेरे पिता के बाद राजा बनेगा।”
“आर्यपुत्र, इस बात का मुझे पूरा भरोसा है कि आप अपने वचन पर अटल रहेंगे, परंतु आपके पुत्र से मैं वासी आशा कैसे रख सकता हूँ?”
अंबा और भीष्म
प्रश्न -1 चित्रांगद योद्धा कैसे थे?
प्रश्न -2 चित्रांगद की मृत्यु कैसे हुई?
प्रश्न -3 चित्रांगद की मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य को राजगद्दी क्यों दी गई?
प्रश्न -4 कुछ समय के लिए हस्तिनापुर की राजगद्दी भीष्म को क्यों सँभालनी पड़ी?
प्रश्न -5 भीष्म काशी क्यों गए?
प्रश्न -6 जब भीष्म स्वयंवर मंडप में स्थापित हुए तो सभी राजकुमारों ने क्या सोचा?
प्रश्न -7 स्वयंवर में भीष्म पर फब्तियां क्यों कैसी जाने लगी ?
प्रश्न -8 क्या भीष्म स्वयं के लिए स्वयंवर में सम्मिलित होने गए थे?
प्रश्न -9 भीष्म किस अवहेलना को सह नहीं पाये और उसने क्या किया?
प्रश्न -10 काशिराज की सबसे बड़ी कन्या का क्या नाम था और वह किसे मन ही मन अपना पति मान चुकी थी?
प्रश्न -11 भीष्म के रथ को रोकने का प्रयास किसने किया ?
प्रश्न -12 किसने कहा ?
“गांगेय, मैंने अपने मन में सौभदेश के राजा शाल्व को अपना पति मान लिया था।” इसी बीच तुम मुझे बलपूर्वक ले आओ ।”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न -1 अंबा की मन की बात जानकर भीष्म ने क्या किया?
उत्तर - अम्बा की मन की बात जानकर भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भेज दिया ।
प्रश्न -2 अम्बिका और अम्बालिका का विवाह किस साथ हुआ?
उत्तर - अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ हुआ ।
प्रश्न -3 चित्रांगद की मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य को राजगद्दी क्यों दी गई?
उत्तर - चित्रांगद की मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य को राजगद्दी इसलिए दी गई क्योंकि चित्रांगद का कोई पुत्र नहीं था ।
प्रश्न -4 राजा शाल्व ने अम्बा को पत्नी के रूप में क्यों स्वीकार नहीं किया?
उत्तर - राजा शाल्व ने अम्बा को पत्नी के रूप में इसलिए स्वीकार नहीं किया क्योंकि सभी राजकुमारों के सामने भीष्म ने राजा शाल्व को युद्ध में पराजित कर दिया था और अम्बा को बलपूर्वक हरण करके ले गए थे।
प्रश्न -5 विचित्रवीर्य और शाल्व के द्वारा विवाह के लिए मना करने पर अंबा ने भीष्म से क्या कहा?
उत्तर - अंबा ने इन सब का कारण भीष्म को माना और भीष्म को उससे विवाह करने को कहा।
प्रश्न -6 अंबा भीष्म से बदला क्यों लेना चाहती थी और उसने उसके लिए क्या किया?
उत्तर - अम्बा ने अपने सारे दुःख का कारण भीष्म को ही समझाया, इसलिए वह कई राजाओं के पास गई और भीष्म से युद्ध करके उनके वध करने की प्रार्थना की।
प्रश्न -7 क्षत्रियों ने निराश होकर जब ब्राह्मणों की शरण में गए तो उन्होंने उसे क्या निर्धारित किया?
उत्तर - तपस्वियों ने अंबा को परशुराम के पास जाने को कहा ।
प्रश्न -8 परशुराम और भीष्म के युद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर - दोनों ही ज्येष्ठिय और ब्रह्मचारी थे । कई दिनों तक युद्ध होता रहा, फिर भी हार जीत का निश्चित न हो सका । अंत में परशुराम ने हार मान ली ।
प्रश्न -9 भीष्म किस अवहेलना को सह नहीं पाये और उसने क्या किया?
उत्तर - काशीराज की कन्याओं ने भीष्म की तरफ से दृष्टि फेर कर उनका अपहरण किया की जो भीष्म सह न सके इसलिए उन्होंने सभी राजकुमारों को हराकर राजकन्याओं को बलपूर्वक हस्तिनापुर ले गए ।
प्रश्न -10 अंबा शिखंडी कैसे बनें?
उत्तर - अंबा तपोबल से स्त्री-रूप छोड़ कर पुरुष बन गई और उसने अपना नाम शिखंडी रख लिया।
प्रश्न -11 अंबा का क्रोध कब शांत हुआ?
उत्तर - शिखंडी को आगे करके अर्जुन ने भीष्म पितामह पर आक्रमण किया और भीष्म आहात होकर पृथ्वी पर गिर पड़े, तब जाकर अंबा का क्रोध शांत हुआ ।
प्रश्न -12 किसने कहा ?
“राजन! मैं तुम्हें ही अपना पति मान चुकी हूँ। मेरे अनुरोध से भीष्म ने मुझे आपके पास भेजा है।”
अंबा ने राजा शाल्व से कहा ।
“वत्स, राजा शाल्व अंबा को स्वीकार नहीं करता इससे विदित होता है कि उसकी इच्छा अंबा को पत्नी बनाने की नहीं थी।”
भीष्म ने विचित्रवीर्य से कहा ।
“गांगेय, मैं तो दोनों ओर से ही गई। मेरा कोई भी सहारा न रहा।”
अंबा ने भीष्म से कहा ।
“अपनी प्रतिज्ञा तो मैं नहीं तोड़ सकता।”
भीष्म ने अम्बा से कहा ।
विदुर
प्रश्न -1 विदुर कौन थे?
प्रश्न -2 विदुर के विशिष्ट गुण क्या थे?
प्रश्न -3 राजा धृतराष्ट्र का प्रधानमंत्री विदुर को किसने नियुक्त किया था और क्यों?
प्रश्न -4 राजा धृतराष्ट्र, दुर्योधन को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोक पाये?
प्रश्न -5 क्षत्रियों का क्या धर्म है?
प्रश्न -6 युधिष्ठिर जुआ क्यों खेले गए?
प्रश्न -7 विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से क्या कहा और क्यों?
कुंती
प्रश्न
प्रश्न-1 राजा शूरसेन कौन थे?
प्रश्न-2 राजा शूरसेन की कन्या का क्या नाम था?
प्रश्न-3 कुंतीभोज कौन थे?
प्रश्न-4 राजा शूरसेन ने कुंतीभोज को क्या वचन दिया था?
प्रश्न-5 कुंतीभोज के यहाँ आने पर पृथा का नाम क्या पड़ गया?
प्रश्न-6 कुंती ने बचपन में कौन से ऋषि की सेवा की?
प्रश्न-7 ऋषि दुर्वासा कुंती से क्यों प्रसन्न थे?
प्रश्न-8 ऋषि दुर्वासा ने कुंती को कौन सा वरदान दिया?
प्रश्न-9 कर्ण कौन थे?
प्रश्न-10 कर्ण के शरीर पर जन्म से क्या था?
प्रश्न-11 अधिरथ कौन था?
प्रश्न-12 अधिरथ को पेटी में क्या मिला?
प्रश्न-13 पेटी में बालक को देख कर अधिरथ की क्या प्रतिक्रिया थी?
प्रश्न-14 कर्ण का पालन पोषण कहाँ हुआ?
प्रश्न-15 कुंती का विवाह किसके साथ हुआ?
प्रश्न-16 राजा पांडु का दूसरा विवाह किसके साथ हुआ?
प्रश्न-17 ऋषि दम्पति ने राजा पांडु को क्यों शाप दिया?
प्रश्न-18 पाण्डु ने पितामह भीष्म तथा विदुर को राज्य का भार क्यों सौंप दिया?
प्रश्न-19 पाँच पांडवों का जन्म कैसे हुआ?
प्रश्न-20 किसने किससे कहा?
“कुंतीभोज - कन्ये तुम किसी भी देवता का ध्यान करोगी, तो वह अपने ही समान एक तेजस्वी पुत्र प्रदान करेगा।”
भीम
प्रश्न-1 धृतराष्ट्र के कितने पुत्र थे? वे क्या कहलाते थे?
प्रश्न-2 शरीर- बल में सबसे बढ़कर कौन था?
प्रश्न-3 खेलों में दुर्योधन और उसके भाईयों को कौन तंग किया करता था?
प्रश्न-4 भीम दुर्योधन और उसके भाईयों को क्यों तंग किया करता था?
प्रश्न-5 कौरवों और पांडवों ने अस्त्र विद्या किनसे सीखा?
प्रश्न-6 सब कौरवों ने आपस में सलाह करके भीम के साथ क्या करने का निश्चय किया?
प्रश्न-7 किसने भीम के खाने में विष मिला दिया था?
प्रश्न-8 भीम पर विष का क्या असर हुआ?
प्रश्न-9 दुर्योधन ने नशे पड़े भीम के साथ क्या किया?
प्रश्न-10 पांडवों और कुंती के आनंद का ठिकाना क्यों न रहा?
प्रश्न-11 कौरव भीम से क्यों बैर भाव रखते थे?
प्रश्न-12 भीम को गंगा में बहा देने के बाद दुर्योधन ने क्या सोचा?
प्रश्न-13 दुर्योधन को क्यों आश्चर्य हुआ?
प्रश्न-14 भीम के उत्तेजित होने पर युधिष्ठिर ने क्या कहा?
प्रश्न-15 दुर्योधन ने जल क्रीड़ा का प्रबंध किस मनसा से की?
प्रश्न-16 कौरवों और पांडवों ने जल क्रीड़ा के बाद क्या किया?
प्रश्न-17 कुंती ने विदुर से कौन सी चिंता जहीर की?
प्रश्न-18 किसने किससे कहा?
i. “दुष्ट दुर्योधन जरूर कोई न कोई चाल चल रहा है।”
ii. “तुम्हारा कहना सही है, परन्तु कुशल इसी में है कि इस बात को अपने तक ही रखो।”
iii. “भाई भीम, अभी समय नहीं आया है। तुम्हें अपने आपको सँभालना होगा।”
कर्ण
प्रश्न
प्रश्न-1 पांडवों ने कौन-कौन से ऋषियों से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा पाई?
प्रश्न-2 कर्ण कौन था और उसने दुर्योधन से क्या कहा?
प्रश्न-3 इंद्र को किस बात का डर था?
प्रश्न-4 इंद्र ने बूढ़े ब्राह्मण का वेश क्यों धारण किया?
प्रश्न-5 बूढ़े ब्राह्मण के वेश में इंद्र ने कर्ण से क्या भिक्षा माँगी?
प्रश्न-6 दुर्योधन ने किसकी अनुमति से कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया?
प्रश्न-7 सूर्यदेव ने कर्ण को किस बात के लिए सचेत किया?
प्रश्न-8 कर्ण एक दानवीर था। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न-9 इंद्र क्या देखकर चकित रह गए?
प्रश्न-10 कर्ण ने देवराज इंद्र से क्या वरदान माँगा?
प्रश्न-11 कर्ण ने ब्रह्मास्त्र चलाना किस प्रकार सीखा?
प्रश्न-12 परशुराम ने कर्ण को शाप क्यों दिया?
प्रश्न-13 भीष्म और आचार्य द्रोण के आहत हो जाने पर दुर्योधन ने किसे कौरव सेना का सेनापति बनाया?
प्रश्न-14 कर्ण की मृत्यु कैसे हुई?
प्रश्न-15 कर्ण ने अर्जुन से क्या कहा?
प्रश्न-16 अर्जुन ने पाठ में क्या निंदा योग्य बताया है?
प्रश्न-17 सभी दर्शक और राजवंश के सभी उपस्थित लोग क्या देख कर दंग रह गए?
प्रश्न-18 कौन रंगभूमि में अर्जुन के सामने आकर खड़ा हो गया?
प्रश्न-19 दुर्योधन ने कर्ण को किस देश का राजा घोषित किया?
प्रश्न-20 किसने किससे कहा?
i. “युद्ध में तुम जिस किसी को लक्ष्य करके इसका प्रयोग करोगे, वह अवश्य मारा जाएगा, परंतु एक ही बार तुम इसका प्रयोग कर सकोगे।”
ii. “बेटा, सच बताओ, तुम कौन हो?”
iii. “चूँकि तुमने अपने गुरु को ही धोखा दिया है, इसलिए जो विद्या तुमने मुझसे सीखी है, वह अंत समय में तुम्हारे किसी काम नहीं आएगी।”
iv. “यह उत्सव केवल तुम्हारे लिए नहीं मनाया जा रहा है। सभी प्रजाजन इसमें भाग लेने का अधिकार रखते हैं।”
v. “मैं अर्जुन से द्वन्द्ध युद्ध और आपसे मित्रता करना चाहता हूँ।”
vi. “सारथी के बेटे, धनुष छोड़कर हाथ में चाबुक लो, चाबुक ! वही तुम्हे शोभा देगा।”
vii. “अज्ञात वीर! महाराज पांडु का पुत्र और कुरुवंश का वीर अर्जुन तुम्हारे साथ द्वन्द्ध युद्ध करने के लिए तैयार है।”
द्रोणाचार्य
प्रश्न-1 आचार्य द्रोण कौन थे?
प्रश्न-2 आचार्य द्रोण का विवाह किससे हुआ तथा उनके पुत्र का क्या नाम था?
प्रश्न-3 राजकुमार द्रुपद बचपन के दिनों में द्रोण से क्या कहा करते थे?
प्रश्न-4 द्रुपद कौन थे और वह कहाँ शिक्षा पा रहे थे?
प्रश्न-5 द्रोण को क्या इच्छा हुई?
प्रश्न-6 द्रोण परशुराम के पास क्यों गए?
प्रश्न-7 द्रोण ने परशुराम से क्या सिखाने की प्रार्थना की?
प्रश्न-8 क्या आशा लेकर द्रोणाचार्य राजा द्रुपद के पास गए?
प्रश्न-9 राजा द्रुपद को द्रोण से मिलकर कैसा लगा?
प्रश्न-10 किसने किससे कहा?
i. “ब्राह्मण - श्रेष्ठ! आपका स्वागत है।”
ii. “ब्राह्मण, तुम्हारा यह व्यवहार सज्जनोचित नहीं है।”
प्रश्न
प्रश्न-1 द्रोणाचार्य को द्रुपद पर क्यों क्रोध आया?
प्रश्न-2 द्रुपद के कठोर वचनो को सुनकर द्रोण ने क्या निश्चय किया?
प्रश्न-3 हस्तिनापुर के राजकुमारों की गेंद खेलते-खेलते कहाँ जा गिरी?
प्रश्न-4 युधिष्ठिर की अँगूठी कुएँ में कैसे गिर पड़ी?
प्रश्न-5 द्रोणाचार्य ने किस प्रकार गेंद कुएँ से निकाली?
प्रश्न-6 द्रोणाचार्य ने अँगूठी किस प्रकार निकाली?
प्रश्न-7 किसने किससे कहा?
i. “बोलो, मैं गेंद निकाल दूँ, तो तुम मुझे क्या दोगे?”
ii. “ब्राह्मण श्रेष्ठ! आप गेंद निकाल देंगें, तो कृपाचार्य के घर आपकी बढ़िया दावत करेंगें।”
iii. “महाराज! हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए और हमें अपना परिचय दीजिए कि आप कौन हैं?”
iv. “यह सारी घटना सुनाकर पितामह भीष्म से ही मेरा परिचय प्राप्त कर लेना।”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रोण से अपने अपमान का बदला लेने के लिए द्रुपद ने क्या किया?
प्रश्न-2 द्रोणाचार्य ने राजकुमारों से गुरु दक्षिणा में क्या माँगा?
प्रश्न-3 किसने पांचालराज की सेना को तहस - नहस कर दिया?
प्रश्न-4 द्रुपद के पुत्र और पुत्री के क्या नाम थे?
प्रश्न-5 द्रोणाचार्य की मृत्यु किसके हाथों हुई?
प्रश्न-6 किसने किससे कहा?
“हे वीर! डरो नहीं। किसी प्रकार की विपत्ति की आशंका न करो।”
लाख का घर
प्रश्न-1 धृतराष्ट्र दुर्योधन का साथ क्यों देते थे?
प्रश्न-2 दुर्योधन की जलन का क्या कारण था?
प्रश्न-3 दुर्योधन के सलाहकार कौन थे?
प्रश्न- शकुनी कौन था?
प्रश्न-5 धृतराष्ट्र के छोटे भाई पांडु को सिंहासन क्यों दिया गया था?
प्रश्न-6 युधिष्ठिर के कुढ़ने का कारण क्या था?
प्रश्न-7 पाण्डु के अकाल मृत्यु हो जाने पर किसने राज काज सँभाला और क्यों?
प्रश्न-8 प्रजा किसे सिंहासन के योग्य मानती थी और क्यों?
प्रश्न-9 युधिष्ठिर को प्रजाजन क्यों चाहते थे?
प्रश्न-10 किसने किससे कहा?
i. “पिता जी, पुरवासी तरह-तरह की बातें करते हैं।”
ii. “बेटा, तुम्हारा कहना ठीक है। लेकिन यधिष्ठिर के विरुद्ध कुछ करना भी तो कठिन है।”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 पांडवों को वारणावत भेजने में दुर्योधन की क्या सोच थी?
प्रश्न-2 कर्णिक नामक ब्राह्मण कौन था और उसने धृतराष्ट्र से क्या कहा?
प्रश्न-3 पुरोचन कौन था?
प्रश्न- 4 दुर्योधन ने पांडवों को वारणावत के मेले में भेजने के लिए किस प्रकार अपने पिता धृतराष्ट्र पर दबाब डाला?
प्रश्न-5 पांडवों को भी वारणावत जाने की उत्सुकता क्यों हुई?
प्रश्न-6 पुरोचन ने वारणावत जाकर दुर्योधन के कहने पर पांडवों के लिए कैसा भवन बनवाया?
प्रश्न-7 किसने किससे कहा?
i. “राजन! जो ऐश्वर्यवान है, वही संसार में श्रेष्ठ माना जाता है।”
ii. “पिता जी, आपको कुछ नहीं करना है, सिर्फ़ पांडवों को किसी - न - किसी बहाने वारणावत के मेले में भेज दीजिए।”
पांडवों की रक्षा
प्रश्न-1 वारणावत जाते समय विदुर ने युधिष्ठिर को गूढ़ भाषा में क्या बताया?
प्रश्न-2 युधिष्ठिर ने भीम को सावधान करते हुए क्या कहा?
प्रश्न-3 कौन - कौन वारणावत गए?
प्रश्न-4 किसने युधिष्ठिर को दुर्योधन के षड्यंत्र से बचने का उपाय बताया?
प्रश्न-5 वारणावत के लोगों ने पांडवों के आगमन पर क्या किया?
प्रश्न-6 जब तक लाख का भवन बनकर तैयार हुआ तब तक पांडव कहाँ रहा करते थे?
प्रश्न-7 ध्यानपूर्वक देखने पर युधिष्ठिर को भवन के बारे में क्या पता चला?
प्रश्न-8 विदुर ने युधिष्ठिर की मदद के लिए वारणावत किसे भेजा?
प्रश्न-9 पुरोचन ने अपने रहने का स्थान कहाँ बनवाया था?
प्रश्न-10 किसने किससे कहा?
i. “यद्यपि यह साफ़ मालूम हो गया है कि यह स्थान खतरनाक है, फिर भी हमें विचलित नहीं होना चाहिए।”
ii. “यही मेरे सच्चे मित्र होने का सबूत है। आप मुझ पर भरोसा रखें।”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 लाख के भवन से बचकर पांडव कहाँ चले गए?
प्रश्न-2 लाख के भवन में आग किसने लगाई?
प्रश्न-3 युधिष्ठिर के सलाह पर माता कुंती ने क्या किया?
प्रश्न-4 पाँचों भाई माता कुंती के साथ लाख के भवन से बाहर कैसे निकले?
प्रश्न-5 पुरोचन की मृत्यु कैसे हुई?
प्रश्न-6 पांडवों के भवन को भयंकर आग की भेंट होते देखकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
प्रश्न-7 भवन जलने की खबर हस्तिनापुर कैसे पहुँची?
प्रश्न-8 धृतराष्ट्र और उनके बेटों ने पांडवों की मृत्यु के बारे में सुनकर क्या किया?
प्रश्न-9 पांडवों की मृत्यु से शोकग्रस्त पितामह को किसने और कैसे चिंतामुक्त किया?
प्रश्न-10 महाबली भीम ने माता कुंती और चारों भाई को थका देख क्या किया?
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 भीमसेन का हृदय दग्ध क्यों हो उठा?
प्रश्न-2 माता और भाइयों का प्यास से बुरा हाल देखकर भीमसेन ने क्या किया?
प्रश्न-3 पांडवों ने अपने आपको युधिष्ठिर के षड्यंत्र से बचाने के लिए क्या किया?
प्रश्न-4 माता कुंती के साथ पाँचों पांडव एकचक्रा नगरी में किस प्रकार अपना गुज़र करते थे?
प्रश्न-5 कुम्हार ने भीम को क्या बनाकर दिया?
प्रश्न-6 भिक्षा में मिले भोजन के कुंती कितने हिस्से करती और उन्हें किस प्रकार बाँटती?
प्रश्न-7 बच्चे भीमसेन को देख कर क्यों हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते?
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 पत्नी की व्यथाभरी बातें सुनकर ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से क्या कहा?
प्रश्न-2 सबको रोते देखकर ब्राह्मण के बालक ने क्या किया?
प्रश्न-3 बकासुर कौन था?
प्रश्न-4 बकासुर और लोगों में क्या समझौता हुआ?
प्रश्न-5 कितने वर्षों से बकासुर लोगों पर ज़ुल्म ढा रहा था?
प्रश्न-6: किसने किससे कहा?
i. “विप्रवर, आप इस बात की चिंता छोड़ दें।”
ii. “कितनी ही बार मैंने तुम्हें समझाया कि इस अंधेर नगरी को छोड़कर कहीं और चले जाएँ, पर तुम नहीं मानीं।”
iii. “प्राणनाथ! मुझे मरने का कोई दुख नहीं है।”
iv. “पिताजी, अच्छा तो यह है कि राक्षस के पास आप मुझे भेज दें।”
v. “क्या आप कृपा करके मुझे बता सकते हैं कि आप लोगों के इस असमय दुख का कारण क्या है?”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 कुंती ने ब्राह्मण को कौन सी बात को गुप्त रखने को कहा और क्यों?
प्रश्न-2 कुंती किसे बकासुर के पास भोजन सामग्री ले कर भेजना चाहती थी और क्यों?
प्रश्न-3 कुंती ब्राह्मण की मदद क्यों करना चाहती थी?
प्रश्न-4 भीमसेन ने नगरवासियों को किससे छुटकारा दिलवाया और कैसे?
प्रश्न-5: किसने किससे कहा?
i. “आप भी कैसी बात कहती हैं! आप हमारी अतिथि हैं।”
ii. “यह तुम कैसा दुस्साहस करने चली हो, माँ!”
iii. “दुष्ट राक्षस! ज़रा विश्राम तो करने दे।”
द्रौपदी-स्वयंवर
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रौपदी कौन थी?
प्रश्न-2 द्रौपदी कहाँ की राजकुमारी थी?
प्रश्न-3 द्रौपदी के स्वयंवर के लिए राजा द्रुपद की क्या शर्त थी?
प्रश्न-4 द्रौपदी के स्वयंवर में कौन-कौन से राजा शामिल हुए?
प्रश्न-5 पाँचों भाई माता कुंती के साथ पांचाल देश में कहाँ रुके?
प्रश्न-6 पांचाल देश में भी पांडव ब्राह्मण-वेश में ही क्यों गए?
प्रश्न-7 राजा द्रुपद की शर्त को किसने पूरा किया और कैसे?
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 भीम मंडप छोड़ कर क्यों नहीं गया?
प्रश्न-2 धृष्टद्युम्न ने कुम्हार की झोंपड़ी में क्या देखा?
प्रश्न-3 द्रुपद के फूले न सामने का क्या कारण था?
प्रश्न-4 किसने किससे कहा?
“पिता जी, मुझे तो ऐसा लगता है कि ये लोग कहीं पांडव न हों!”
इंद्रप्रस्थ
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 पांडवों की कुशलता जानकर दुर्योधन ईर्ष्या की आग में क्यों जलने लगा?
प्रश्न-2 दुर्योधन ने एकांत में धृतराष्ट्र से क्या कहा?
प्रश्न-3 कर्ण ने दुर्योधन को क्या सलाह दी?
प्रश्न-4 कर्ण ने दुर्योधन को पांडवों पर हमला करने की सलाह क्यों दी?
प्रश्न-5 भीष्म और आचार्य द्रोण ने धृतराष्ट्र को क्या सलाह दी?
प्रश्न-6 कर्ण की बातों से क्रोधित द्रोणाचार्य क्या बोले?
प्रश्न-7 धृतराष्ट्र ने पांडवों को द्रौपदी तथा कुंती सहित लिवा लाने के लिए किसे और कहाँ भेजा?
प्रश्न-8 किसने किससे कहा?
i. “पांडव अभी जीवित हैं। राजा द्रुपद की कन्या को स्वयंवर में अर्जुन ने प्राप्त किया है।”
ii. “बेटा, तुम बिलकुल ठीक कहते हो। तुम्हीं बताओ, अब क्या करना चाहिए?”
iii. “तो फिर हमें कोई ऐसा उपाय करना चाहिए, जिससे पांडव यहाँ आएँ ही नहीं, क्योंकि यदि वे इधर आए, तो ज़रूर राज्य पर भी अपना अधिकार जमाना चाहेंगे।”
iv. “बेटा! वीर पांडवों के साथ संधि करके आधा राज्य उन्हें दे देना ही उचित है।”
v. “राजन्! मुझे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि आचार्य द्रोण भी आपको ऐसी कुमंत्रणा देते हैं!”
vi. “हमारे कुल के नायक भीष्म तथा आचार्य द्रोण ने जो बताया है, वही श्रेयस्कर है।”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 खांडवप्रस्थ कैसी नगरी थी?
प्रश्न-2 बाद में खांडवप्रस्थ का नाम क्या रखा गया?
प्रश्न-3 इंद्रप्रस्थ में द्रौपदी और माता कुंती के साथ पाँचों पांडव ने कितने बरस तक राज्य किया?
प्रश्न-4 राज्याभिषेक के उपरांत युधिष्ठिर को आशीर्वाद देते हुए धृतराष्ट्र ने क्या कहा?
प्रश्न-5 किसने किससे कहा?
“देवी, आप निश्चिंत रहें। आपके बेटों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।”
जरासंध
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 राजसूय यज्ञ करने की इच्छा से युधिष्ठिर ने किससे सलाह ली?
प्रश्न-2 राजसूय यज्ञ करके युधिष्ठिर कौन सा पद प्राप्त करना चाहते थे?
प्रश्न-3 राजसूय यज्ञ कौन कर सकता था?
प्रश्न-4 युधिष्ठिर के भाईयों तथा साथियों की क्या इच्छा हुई?
प्रश्न-5 श्रीकृष्ण की बातें सुनकर युधिष्ठिर ने क्या निर्णय लिया?
प्रश्न-6 युधिष्ठिर का निर्णय सुनकर भीमसेन ने क्या कहा?
प्रश्न-7 श्रीकृष्ण के अनुसार राजसूय यज्ञ में क्या - क्या बाधाएँ थीं?
प्रश्न-8 किसने किससे कहा?
i. “आपका कहना बिलकुल सही है। इस विशाल संसार में कितने ही राजाओं के लिए जगह है।”
ii. “मित्रों का कहना है कि मैं राजसूय यज्ञ करके सम्राट -पद प्राप्त करूँ।”
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 जरासंध की मृत्यु के बाद मगध की राजगद्दी किसको मिली?
प्रश्न-2 किसने किससे कहा?
“मेरे दोनों साथियों ने मौन व्रत लिया हुआ है, इस कारण अभी नहीं बोलेंगें।”
प्रश्न-3 श्रीकृष्ण ने भीम और अर्जुन के बारे में जरासंध को क्या बताया?
प्रश्न-4 जरासंध से युद्ध करने का निश्चय हो गया, तो श्रीकृष्ण और पांडवों ने अपनी क्या योजना बनाई?
प्रश्न-5 राजसूय यज्ञ में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को किसकी अग्र-पूजा करने की सलाह दी?
प्रश्न-6 जरासंध का अंत किस प्रकार हुआ?
प्रश्न-7 शिशुपाल का वध किसने और क्यों?
शकुनि का प्रवेश
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 राजसूय यज्ञ का ठाट-बाट तथा पांडवों की यश समृद्धि का दुर्योधन पर क्या प्रभाव पड़ा?
प्रश्न-2 दुर्योधन के कहने पर धृतराष्ट्र पांडवों को चौसर के खेल में बुलाने के लिए क्यों मान गए?
प्रश्न-3 जुए के खेल के संबंध में विदुर की क्या राय थी?
प्रश्न-4 शकुनि ने दुर्योधन को पांडवों पर विजय पाने का कौन सा उपाय बताया?
प्रश्न-5 युद्ध की संभावना ही मिटा देने के उद्देशय से युधिष्ठिर ने क्या शपथ ली?
प्रश्न-6 शकुनि ने दुर्योधन को किस प्रकार सांत्वना दिया?
प्रश्न-7 किसने किससे कहा?
i. “चौसर का खेल कोई हमने तो ईजाद किया नहीं है। यह तो हमारे पूर्वजों का ही चलाया हुआ है।”
ii. “राजन, सारे वंश का इससे नाश हो जायेगा।”
iii. “युद्ध की तो बात ही न करो। वह खतरनाक काम है। तुम पांडवों पर विजय पाना चाहते हो, तो युद्ध के बजाए चतुराई से काम लो।”
iv. “बेटा! यों चिंतित और उदास क्यों खड़े हो? कौन सा दुख तुमको सता रहा है?”