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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 मिठाईवाला

हिन्दी (वसंत)
कक्षा - 7
अध्याय - 4

मिठाईवाला


पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

कहानी से

प्रश्न 1.
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर-
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था, क्योंकि वह बच्चों का सान्निध्य प्राप्त करना चाहता था। उसके बच्चों एवं पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। इसलिए वह बच्चों की रुचि की चीजें बेचा करता था। वह बदल-बदल कर बच्चों की चीजें लाया करता था, इसलिए उसके आते ही बच्चे भी उसे घेर लिया करते थे। वह बच्चे की फरमाइशें पूरी करता रहता था। वह कई महीनों के बाद आता था क्योंकि उसे पैसों का कोई लालच नहीं था। इसके अलावे वह इन चीज़ों को तैयार करवाता था तथा बच्चों के उत्सुकता को बनाए रखना चाहता था।
प्रश्न 2.
मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर
मिठाईवाले का मधुर आवाज में गा-गाकर अपनी चीजों की विशेषताएँ बताना, बच्चों की मनपसंद चीजें लाना, कम दामों में बेचना, बच्चों से अपनत्व दर्शाना आदि ऐसी विशेषताएँ थीं। बच्चे तो बच्चे बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।
प्रश्न 3.
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर-
विजय बाबू एक ग्राहक थे जबकि मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों ने मोल-भाव के लिए अपने-अपने तर्क दिए। विजय बाबू ने अपने पक्ष में यह तर्क प्रस्तुत करते हुए कहते हैं-फेरीवाले की झूठ बोलने की आदत होती है। देते हैं सभी को दो-दो पैसे में, पर अहसान का बोझ मेरे ऊपर लाद रहे हो।
प्रश्न 4.
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर-
खिलौने वाले के आने पर बच्चे खुश हो जाते थे। बच्चे अति उत्साहित हो जाते थे। उन्हें खेलकूद भूलकर अपने सामान, जूते-चप्पल आदि का ध्यान नहीं रहता। वे अपने-अपने घर से पैसे लाकर खिलौने का मोल-भाव करने लग जाते थे। खिलौनेवाला उनका मन चाहा खिलौने दे देता था और बच्चे उन्हें लेकर काफ़ी खुश हो जाते थे। बच्चे खुशी से पागल हो जाते थे।
प्रश्न 5.
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्ण क्यों हो आया?
उत्तर-
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण इसलिए हो आया क्योंकि खिलौनेवाला की तरह ही इसकी आवाज़ जानी पहचानी थी। खिलौनावाला भी इसी प्रकार मधुर स्वर से गाकर खिलौना बेचा करता था। मुरलीवाला ठीक उसी तरह ही मीठे स्वर में गाकर मुरलियाँ बेचा करता था।
प्रश्न 6.
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर-
रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। इस पर उसने भावुक हो बताया-मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठित व्यापारी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाकर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे थे। मेरा वह सोने का संसार था। उसके पास सुख के सभी साधन थे। स्त्री और छोटे बच्चे भी थे। ईश्वर की लीला सभी को ले गई। उसने इन व्यवसायों को अपनाने के निम्नलिखित कारण बताएँ-
प्रश्न 7.
‘अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर-
मिठाईवाले के जीवन का रहस्य कोई नहीं जानता था लेकिन जब उसने अपने जीवन की सारी गाथा दादी और रोहिणी को बताई। उसी समय रोहिणी के छोटे-छोटे बच्चे चुन्नू-मुन्नू आकर मिठाई माँगने लगते हैं। वह दोनों को मिठाई से भरी एकएक पुडिया देता है। रोहिणी पैसे देती है तो उसका यह कहना-“अब इस बार ये पैसे न लँगा।” इस बात को दर्शाता है। कि उसका मन भर आया और ये बच्चे उसे अपने बच्चे ही लगे।
प्रश्न 8.
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् संविधान ने स्त्री-पुरुष को समान अधिकार दिए और आज शिक्षा के प्रसार व आधुनिकीकरण से भी समाज में बदलाव आया है। आज स्त्रियाँ पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। लेकिन भारत के कुछ पिछड़े गाँव व स्थान ऐसे भी हैं जहाँ स्त्रियों को आज भी पर्दे में रहना पड़ता है। ऐसे में वे चिक के पीछे बात करने को मजबूर होती हैं। हमारी राय में यह पूर्णतया गलत है क्योंकि स्त्री-पुरुष दोनों समाज के आधार हैं। दोनों को समान दर्जा मिलना चाहिए।
कहानी से आगे
प्रश्न 1.
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर
मिठाईवाले का परिवार अवश्य ही किसी दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। कहानी-एक गाँव में एक मिठाईवाले की दुकान थी। तरह-तरह की मिठाइयाँ वह बेचा करता था। छोटे-बड़े सभी उसकी मिठाइयाँ शौक से खाते थे। दुकान के साथ ही उसका घर भी था। जब भी दुकान पर कोई ग्राहक न होता वह अपने बच्चों के साथ खेलता और खुश होता था। उसके बच्चे बहुत शालीन थे। कभी भी उसे किसी बात के लिए परेशान न करते। एक दिन वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ गाँव में किसी रिश्तेदार की शादी में गया। खुशी-खुशी गाँव वालों ने भी उसकी सारी तैयारियाँ करवाईं। उसने कपड़े, गहने, बच्चों का सामान बहुत कुछ खरीदा। गाँव के कुछ लोग उसे स्टेशन तक छोड़ने भी गए।
प्रश्न 2.
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन-सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में हमें मिठाइयाँ गोल-गप्पे, चाट-पापडी, फूट-चाट, चीलें, छोले-भटूरे, सांभर-डोसा, इडली, चाइनिज फूड व इनके अलावा विभिन्न खाद्य पदार्थ आकर्षित करते हैं। उनको बनाने सजाने में विभिन्न पाक कला विशेषज्ञों का हाथ होता है। जैसे खाद्य पदार्थों के लिए हलवाई। इनके पहनावे अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे समोसे बनाने वाला समोसे बनाने में, सांभर डोसा बनाने वाला सांभर में, इडली बनाने वाला इडली बनाने में, आइसक्रीम बनाने वाला आइसक्रीम बनाने में आदि।
प्रश्न 3.
इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए।
उत्तर-
ऐसी कहानी पुस्तकालय से हूँढ़ें। यह कार्य छात्र स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1
आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर-
यह कार्य छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर-
यह कार्य छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर
छात्र कक्षा में परिचर्चा करें।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
मिठाईवाला बोलनेवाली गुड़िया
ऊपर वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
उत्तर-
(क) ‘मिठाईवाला’ शब्द संज्ञा है तथा बोलना क्रिया।
(ख) मिठाईवाला शब्द विशेषण है जबकि बोलने वाली गुड़िया में गुड़िया संज्ञा है जबकि बोलने वाला शब्द विशेषण है जो गुड़िया की विशेषता बता रहा है।
प्रश्न 2.
“अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”
• उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ते बटुली।
 ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें। झारखंड की हिंदी, बंगला तथा असमी भाषा में भी ठो का प्रयोग होता है।
प्रश्न 3.
“वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
‘‘क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”
  • भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते आप ये बातें कैसे कहेंगे?
उत्तर- “लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं?”
“भैया, इस मुरली का मूल्य क्या है?”
“दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा जाकर उसे कमरे में बुलाओ।”

मूल्यपरक प्रश्न ( कुछ करने को )

प्रश्न 1.
फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए दो-दो के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवाले से बात करें।

उत्तर-
फेरीवाले का जीवन काफ़ी कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक गलियों में चक्कर लगाते रहते हैं। उनका घर-परिवार उनसे अलग गाँव या दूसरे शहर में होता है या किसी छोटी कॉलोनियों में। उनके जीवन में अनेक समस्याएँ आती होंगी। जैसे पूरा सामान न बिकना, सामान का खराब हो जाना या सड़ जाना, तबियत खराब होने, अधिक बारिश होने पर, या अधिक गरमी पड़ने से घर से बाहर न निकल पाना। कभी-कभी इन्हें खरीद से कम में भी माल बेचना पड़ता है जिससे कि इनका मूल धन डूब जाए, इस प्रकार की और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रश्नानुसार आज के दौर में अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से उनकी समस्याओं व जीवन के बारे में बात करें।

प्रश्न 2.
इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।

उत्तर-
हाँ, फेरीवाले के जीवन से इस बात का पता लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से दुख कम हो जाता है। जैसे मिठाईवाले के बच्चे और पत्नी की मृत्यु के बाद, वह दुसरे बच्चों को जब उनकी पसंद का सामान ला-लाकर बेचता तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर देखकर उसे संतोष, धैर्य और सुख की अनुभूति होती थी। वह उन्हीं में अपने बच्चों की झलक देखता था। इसलिए कहा भी है कि दुख बाँटने से कम होता है।

प्रश्न 3.
अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।

उत्तर-
मिठाईवाला मीठा स्वर, लंबा दुबले पतले शरीर, भूरी-भूरी आँखें, सिर पर टोकरी, पैरों में चप्पल, पजामा, कुर्ता पहने, कंधे पर गमछा लिए चलता होगा। वह सिर पर पगड़ी बाँधता होगा। उसके कंधों पर फेरी का सामान होता होगा, जिसमें खट्टीमीठी, स्वादिष्ट, सुगंधित गोलियाँ होंगी। जब वह मीठी स्वर में आवाज़ लगाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़कर उसे घेर लेते होंगे।