याद रहे बस नाम तुम्हारा.... न दिन देखूँ न देखूँ रात, चाहूँ मिलन करुँ मैं बात, बिन तेरे यूँ दशा है मेरी, हूँ जैसा मैं 'बिन कलम' दवात || इंतजार करते-करते, इम्तेहान होने लगा है, 'सौन्दर्य-रति' निकट तुम्हारे, अब तो न्यून लगने लगा है || बिन तुम्हारे बिना बात के कैसे रहूँ , कहाँ मैं जाऊँ? किरण बिना सूरज कैसा हो, उमा बिना महादेव न पाऊँ || सुन्दरता से सुन्दर हो तुम, अंतर्मन तो और पाक है, नौटंकी परिहास तुम्हारा, क्या कहूँ वो लाजवाब है || दिल की तुम धड़कन हो जैसे, मन का जैसे ख्वाब हो तुम, याद यदा तुम करती हो हमें, पाती मुझको उसी समय तुम || इंतजार की विरह आग की, तुम्हें तपन का नहीं पता है, भोग के उस विरह तपन को, इंतजार करता हूँ मैं || जीवन की सुखमय रेखा तुम, मेरी प्यास का पानी हो तुम, स्वीकारो अब प्रेम को मेरे, मेरे ख्वाबों की तुम रानी हो || नटखट मस्ती करती हो तुम, हँसी ठिठोली काम तुम्हारा, भूल जाऊँ संसार को सारे, याद रहे बस नाम तुम्हारा || दिलकश ये मुस्कान तुम्हारी, कैसे कहूँ सौंदर्य तुम्हारा, फ़िकर नहीं संसार की अब तो, था-है-रहेगा 'अभि' तुम्हारा ||
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