कोरोनाकालः एक अविस्मरणीय अनुभव
जीवन में था पहली बार
देखा ये कोरोना काल,
थे दूर के ढोल सुहावने
पास आए तो हुए बेहाल।
2. ऐसा सोचा करते प्रायः
काम करें घर से निकले बिन,
बारह महिने चौबीस घंटे
है चलती दुनिया रात औ’ दिन।
3. कोरोना का क्या बताएँ हाल
लोगों का था हाल-बेहाल,
लॉकडाउन में जस के तस
जो था जहाँ , बसा वही बस ।
4. स्कूल-कॉलेज हो, अस्पताल हो
सरकारी-गैर-कारोबार हो
दुनिया जैसे स्तम्भ हो गई
जल्दबाजी जाने कहाँ खो गई?
5. समय नहीं है….मिलते हैं कभी,
कहते थे जो दोस्त-यार वो
अरसों बाद बात हो गई
समय-घड़ी दिन-रात हो गई।
6. गीता के उपदेशों का भी
शाश्वत यही समय आया है,
प्रभु इच्छा से होता सब है
नवाचार का युग आया है।
7. क्या कैसे और कब होगा अब
चिंतातुर जनमानस था तब
बच्चे भी क्या पढ़ पाएँगें?
वो कैसे स्कूल जाएँगे?
8. शिक्षक ने किया विस्तार फिर
महाभारत में कृष्ण यथावत्
चॉक-डस्टर उठाने वाले
तकनीकि में हुए अब आगे।
9. शिक्षा में नवाचार आ गया
तकनीकि का दौर छा गया,
कक्षा हुई सब ऑनलाईन अब
विद्या को नवरूप भा गया।
10. शिक्षा अधूरी रह न पाए
हर बच्चा फिर से पढ़ पाए,
शिक्षक भी लॉकडाउन में
सोशल और यूट्यूब पर आए।
11. विकासशील है देश हमारा
जान से ज्यादा हमको प्यारा,
करते रहे हम सदा विस्तार
शिक्षा हो या हो संस्कार।
12. साधनहीन जो थे परिवार
उन तक पहुँचना था इसबार,
डाकपते से उन तक पहुँचे
थे ज्ञानपिपासु बच्चे तैयार ।
13. धर्म में आगे सबसे हम
विज्ञान में भी पीछे न रहते,
धर्म-विज्ञान का उदय है हमसे
यूँ ही हमें विश्वगुरु न कहते।
14. कोवैक्सीन का हुआ निर्माण
अतुल्य भारत की खोज महान,
शिक्षा में अग्रसर रहे हम
शिक्षक-छात्र का था अथक श्रम।
15. नकारात्मक हैं जो भी
सकारात्मक हो सकते हैं,
कोविड के कारण अब हम
अहर्निश ज्ञान पा सकते हैं।
16. शिक्षकों का अथक श्रम है
अहर्निश लगा स्वेद-रक्त है,
सज़दा उनके पौरुष को
बारम्बार उनको नमन है……..
बारम्बार उनको नमन है……..
(अभिषेक तिवारी)